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Saturday, April 25, 2020

भारत में लोग दो हफ्ते से लेकर एक महीने तक का राशन जमा कर रहे, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में भी लॉकडाउन के डर से ग्रॉसरी स्टोर्स खाली हो गए थे

22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू था और इसी दिन के बाद से एक के बाद एक कई शहर लॉकडाउन होने लगे थे। 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। 22 से 25 मार्च के बीच जब यह सब हो रहा था, तब देशभर में जो एक तस्वीर हर जगह से सामने आ रही थी, वो थी रिटेल स्टोर्स पर भीड़। बिग बाजार जैसी बड़ी ग्रॉसरी शॉप हो या छोटी-छोटी किराना दुकानें हों, हर जगह लोग थैला भर-भर कर सामान ले जा रहे थे। सब्जी मंडियों में भी कुछ इसी तरह का नजारा था।

लॉकडाउन को अब एक महीना पूरा हो चुका है। इसके आगे बढ़ने के भी आसार हैं और इसीलिए लोग अपनी तैयारी बेहतर कर रहे हैं। आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर सर्वे में सामने आया है कि 43.3% लोगों ने 3 हफ्ते से ज्यादा का राशन जमा किया हुआ है। इनमें 15.8% लोगों के पास तो एक महीने से ज्यादा का राशन जमा है। यह आंकड़ें जनता कर्फ्यू लगने के ठीक एक महीने बाद (21 अप्रैल) के हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि 16 मार्च को जब राशन के स्टॉक का सर्वे हुआ था तो किसी भी शख्स ने 1 महीने से ज्यादा का राशन स्टॉक का दावा नहीं किया था।

जनता कर्फ्यू के बाद देशभर में शहर लॉकडाउन होने लगे थे, लोगों ने भी लॉकडाउन होने की संभावना देखकर ग्रॉसरी स्टोर करना शुरू कर दिया था।

16 मार्च के बाद ही भारत सरकार कोरोनावायरस को लेकर फूल एक्शन में आई थी। लोगों ने इसी समय से ही राशन इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। एक रिपोर्ट में सामने आया था कि मार्च के दूसरे से तीसरे हफ्ते में बिग बॉस्केट (ग्रॉसरी स्टोर) का रेवेन्यू दोगुना हो चुका था। इसी दौरान एक अन्य ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर ग्रोफर्स पर आम दिनों के मुकाबले 45% ज्यादा ऑर्डर आने लगे थे। औसत ऑर्डर की कीमत में भी 18% का इजाफा हो रहा था।

जनता कर्फ्यू के बाद तो लोगों ने ऑनलाइन ऑर्डर के लिए भी इंतजार नहीं किया। लोग अपने नजदीकी किराना दुकानों से खान-पान की जरूरी चीजें स्टॉक करने के लिए निकल पड़े थे। जब हर जगह यही नजारा था तो फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के चेयरमैन डीवी प्रसाद ने 25 मार्च को एक बयान में कहा कि भारत के लोगों को पैनिक बाइंग (किसी आशंका के डर से ज्यादा खरीददारी करने) की जरूरत नहीं है। देश में खाद्य सामग्रियों का पर्याप्त स्टॉक है। उन्होंने बताया था कि अप्रैल के आखिरी तक देशभर के गोदामों में 10 करोड़ टन अनाज होगा, जिससे 18 महीने तक लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है।

लॉकडाउन के पहले फेज की सख्ती के बाद अब कई जगह राशन को घर-घर पहुंचाने की भी सर्विस चालू है। सरकार के पर्याप्त खाद्य सामग्री के आश्वासन और घर-घर राशन की डिलीवरी होने की कोशिशों का इस पर कोई असर नहीं है। जिन लोगों का राशन स्टॉक कम हो रहा है, वे मौका मिलते ही फिर से अगले 1 या 2 महीने के लिए राशन जमा कर रहेहैं।

24 मार्च की रात को जब प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन का एलान किया, तो अगले ही दिन मंडियों में सब्जी लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। तस्वीर दिल्ली की है।

आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर के सर्वे के मुताबिक, 20.4% लोगों के पास दो हफ्ते, 5.6% लोगों के पास तीन हफ्ते, 21.9% लोगों के पास एक महीने और 15.8% के पास 1 महीने से ज्यादा का राशन जमा है। हालांकि 24.5% लोगों का कहना है कि उनके पास एक हफ्ते तक का ही राशन जमा हैं।

16 मार्च को हुए इसी तरह के सर्वे में 77.1% लोगों का कहना था कि उनके पास एक हफ्ते से कम का राशन है। एक महीने बाद ऐसे लोगों में का प्रतिशत 12.3 ही रह गया है। यानी वे लोग जो घरों में 4-5 दिनों तक का ही खान-पान की चीजों का स्टॉक रखते थे, वे भी अब 2-3 हफ्तों या 1 महीने तक का राशन जमा किए हुए हैं।

ब्रिटेन में पिछले साल के मुकाबले मार्च के दूसरे हफ्ते में 467 मिलियन पाउंड की ज्यादा बिक्री हुई
पिछले दिनों में पैनिक बाइंग की यह स्थिति भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में हर जगह देखने को मिली है। निल्सन डेटा फर्म के मुताबिक, ब्रिटेन में 2019 के मुकाबले इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते में ग्रॉसरी सेल्स में 22% का इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा इजाफा (65%) पालतू जानवरों की देखभाल करने वाली चीजों की बिक्री में हुआ। हेल्थ, ब्यूटी, बेबी केयर, टॉयलेट पेपर जैसी चीजों की बिक्री में 46% बढ़त देखी गई। फ्रोजन फूड 33% और बियर, वाइन भी 11% ज्यादा बिकी। कुल मिलाकर पिछले साल के मुकाबले इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते में लोगों ने 467 मिलियन पाउंड ज्यादा खर्च किए।

साउथ-वेस्ट लंदन के वेट्रोस सुपरमार्केट में टॉयलेट पेपर के शेल्फ पूरी तरह खाली हो गए थे। तस्वीर 11 मार्च की है।

ब्रिटेन में हालत यह थी कि यहां के रिटेलर्स को ग्राहकों के नाम एक जॉइंट लेटर लिखना पड़ा। इसमें उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा था, “अगर हम सब मिलकर काम करेंगे तो आप सभी के लिए यहां पर्याप्त चीजें हैं। हम आपकी घबराहट समझ सकते हैं लेकिन जरूरत से ज्यादा चीजें स्टॉक करने का मतलब है कि कुछ लोगों को जरूरत के हिसाब से भी चीजें नहीं मिल पाएंगी।”

अमेरिका में हर हफ्ते ग्राहकों का शॉपिंग पैटर्न बदलता गया
मार्च के पहले हफ्ते से अमेरिका में भी लोग ग्रॉसरी स्टॉक करने लगे थे, लेकिन यहां ग्राहकों के शॉपिंग पैटर्न में हर हफ्ते दिलचस्प बदलाव दिख रहा था। मार्च के शुरुआत में लोगों ने यहां सैनिटाइटर और टॉयलेट पेपर के लिए सुपरमार्केट के शेल्फों को खगाल मारा था, महीने के आखिरी में आते-आते यहां लोगों में हेयर डाई और हेयर क्लिप जैसी चीजों की मांग बढ़ गई। खाने या जरूरत के सामान को छोड़कर लोग पजल्स, गेम्स और इंटरटेनमेंट की चीजों को ज्यादा खरीद रहे थे।

लास एंजिलिस हिस्पेनिक स्पेशियलिटी सुपरमार्केट 19 मार्च को कुछ घंटों के लिए खोला गया था। थोड़ी ही देर में यहां सुपरमार्केट खाली हो गया।

मार्च के पहले हफ्ते में सुपरमार्केट के शेल्फ से सेनिटाइजर, साबुन जैसी चीजें गायब हुईं। निल्सन डेटा के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबलेइस साल सेनिटाइजर्स की बिक्री में470% का इजाफा हुआ था। दूसरे हफ्ते में टॉयलेट पेपर की डिमांड बढ़ गई। मार्च के तीसरे और चौथे हफ्ते में बेकिंग प्रोडक्ट की बिक्री ज्यादा रही। इसमें बेकिंग यीस्ट (खमीर) की बिक्री में तीसरे हफ्ते में 647% और चौथे हफ्ते में 457% की बढ़त देखी गई। पांचवे हफ्ते में हेयर क्लिप जैसी चीजों की बिक्री में 166% की बढ़ोतरी हुई।

अमेरिका में 23 जनवरी को कोरोना का पहला मामला आया था और 8 मार्च को इसके मरीज 500 से ज्यादा हो गए थे। निल्सन के 19 जनवरी से 8 मार्च तक के डेटा के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में चावल, ड्राइड बींस,ओट मिल्क, पीनट बटर और पास्ता में 20 से लेकर 50% बिक्री बढ़ गई थी।

इटली में अप्रैल के पहले हफ्ते में लोगों ने घर पर शराब बनाने के लिए जरुरी चीजों को खरीदना शुरू कर दिया
आईआरआई पॉइंट ऑफ सेल्स डेटा कंपनी ने अलग-अलग देशों में पैनिक बाइंग पर रिपोर्ट तैयार की। इसके मुताबिक, इटली में 30 मार्च से 5 अप्रैल तकपिछले साल के मुकाबले घर पर शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला ब्रुअर्स यिस्ट की बिक्री 282% बढ़ गई। खान-पान की चीजों जैसे आटा, पेस्ट्री में 218% का इजाफा हुआ।

तस्वीर मिलान के एक रिटेल स्टोर की है। मार्च के पहले हफ्ते में इस तरह की तस्वीरे पूरे इटली में दिखाई दे रहीं थीं।

इटली के सुपरमार्केट, मेडिकल स्टोर और छोटी-बड़ी दुकानों में बिक्री 24 फरवरी से 1 मार्च के बीच 2019 के मुकाबले बढ़ी हुई नजर आई। नॉर्थ-वेस्ट में 9.94%, नॉर्थ-ईस्ट में 12.81%, सेंटर में 12.83%, साउथ में 15.75% सामानों की बिक्री बढ़ गई थी। (सोर्स- स्टेटिस्टा)

एमरसिस एंड गुडडेटा की एक रिपोर्ट में 5 जनवरी से 29 मार्च तक के डेटा एनालिसिस में सामने आया था कि पिछले साल के मुकाबले इन दिनों में लगातार डिजिटल सेल्स में बढ़ोतरी हुई है। 22 मार्च को यह 70% ज्यादा रही थी।

सबसे पहले चीन के वुहान में देखी गई थी पेनिक बाइंग, सुपरमार्केटों के शेल्फ पूरे खाली हो गए थे
चीन के वुहान शहर से ही कोरोनावायरस की शुरुआत हुई थी। यहां जनवरी के आखिरी हफ्तों में सुपरमार्केट के शेल्फ पूरी तरह खाली हो गए थे। यहां 23 जनवरी से लॉकडाउन लगाया गया, इससे पहले ही ग्रॉसरी स्टोर्स में लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखीं गईं थीं। शुरुआत में यहां हैंड सेनिटाइजर, मास्क और ग्लव्स के लिए लोगों ने ग्रॉसरी स्टोर्स को छान मारा था, बाद में खाने-पीने की जो भी चीजें इन स्टोर्स पर थीं, लोग उठाकर घर ले जाने लगे।

वुहान में कोरोनावायरस फैलने के बाद हुए लॉकडाउन के कारण चीन के बाकी हिस्सों में भी लोगों ने जरूरत की चीजें इकट्ठा करना शुरू कर दी थीं। तस्वीर हांगकांग की है।

कोरोना प्रभावित हर देश में ग्रॉसरी स्टॉक की होड़ मची
एशिया से लेकर यूरोप और अमेरिका तक जहां किसी भी देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन की संभावना बढ़ी, वहां लोगों ने ग्रॉसरी स्टोर करना शुरू कर दिया। अप्रैल के पहले हफ्ते में फ्रांस में लोगों ने बेकिंग प्रोडक्ट, आटा, डिब्बाबंद टमाटर और मिठाईयों को स्टोर किया तो जर्मनी में सबसे ज्यादा बिक्री होम क्लिनर्स, क्लिनिंग वाइप्स और ग्लव्स जैसी चीजों की बिक्री पिछले साल के मुकाबले दो से तीन गुना बढ़ गई। ऑस्ट्रेलिया के सुपरमार्केट भी खाली हो गए।

जर्मनी के एक सुपरमार्केट के शेल्फ में 9 मार्च को सिर्फ एक जर्म ऑइल की बोतल दिखाई दी। इससे तीन दिन पहले तक यह मॉल ग्रॉसरी से भरा हुआ था।


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In India, people are collecting ration for two weeks to one month, in countries like America and Britain, grocery stores were also empty for fear of lockdown.


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