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Tuesday, April 28, 2020

लाॅकडाउन में गंगा साफ होने का दावा, पर पानी अब भी आचमन लायक नहीं; बिहार के तीन नालों से सबसे ज्यादा गंदगी पहुंच रही

अनिरुद्ध शर्मा.सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने लॉकडाउन के पहले और लॉकडाउन में गंगा नदी के पानी की जांच में पाया है कि गंगा अपने समूचे प्रवाह में नहाने लायक ताे हो गई है, लेकिन इसका पानी आचमन लायक अब भी नहीं है। गंगा में सबसे ज्यादा गंदगी बिहार के तीन नालों से पहुंच रही है। सीपीसीबी की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा के पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन का स्तरकानपुर को छोड़कर बाकी सभी जगह 1.3 से 5.5 मिग्रा/लीटर है।

पीने लायक पानी के लिए डिजाॅल्व ऑक्सीजन (घुली ऑक्सीजन) 6 मिग्रा/लीटर या इससे ज्यादा होनी चाहिए, जबकि बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2 मिग्रा/लीटर से कम होनीचाहिए। रिपाेर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दूसरे से चौथे हफ्ते के दौरान नदी में डिजाॅल्व ऑक्सीजन की मात्रा में बिजनौर के मध्य गंगा बैराज से कोलकाता के मिलेनियम पार्क ब्रिज तक बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन बीओडी और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) में खास फर्क नहीं आपाया।

बारिश के चलते मिट्टी बढ़ी और ऑक्सीजन नहीं बढ़ पाई

नदी के उस पानी को नहाने योग्य माना जाता है जिसमें डिजाॅल्व ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिग्रा/लीटर हो। गंगा में यह 5.5 मिग्रा/लीटर है इसलिए यह सिर्फ नहाने लायक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के पहले हफ्ते में गंगा पट्‌टी इलाकों में बारिश के चलते नदी में मिट्‌टी बढ़ने से घुली ऑक्सीजन ज्यादा नहीं बढ़ सकी थी। बीओडी की मात्रा में कहीं भी कमी नहीं दर्ज हुई। कानपुर के धोबीघाट केंद्र पर तो बीओडी में लॉकडाउन के दौरान 280% तक इजाफा हो गया, वहां यह 15 मिग्रा/लीटर दर्ज किया गया।

सीओडी की अधिकतम मात्रा लॉकडाउन के पहले जहां 17.7 मिग्रा/लीटर थी। लॉकडाउन के दौरान यह 33.2 मिग्रा/लीटर तक दर्ज हुई। देव प्रयाग से ऋषिकेश के बीच गंगा के प्रवाह को छोड़कर नदी में कहीं भी पीने लायक पानी नहीं है। सोशल मीडिया पर गंगा के पारदर्शी जल के वीडियो में दावा किया जा रहा था कि लॉकडाउन में गंगा साफ हो गई है।

रिपोर्ट वैज्ञानिक है, इस पर भरोसा करना होगा-सीपीसीबी

सीपीसीबी के सदस्य सचिवप्रशांत गार्गव ने कहा- सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें व वीडियो आ रहे हैं, वे सही भी हो सकते हैं। लेकिन, सीपीसीबी की यह वैज्ञानिक रिपोर्ट है। इसी पर भरोसा करना होगा। नदी अब भी इतनी साफ नहीं कि आप उसका इस्तेमाल पानी सीधे पीने के लिए करने लगें।

सहायक नदियां भी कर रहीं गंदा
खेतों का पानी न आने से गंगा में नाइट्रेट की मात्रा में 6% तक की कमी आई है। अन्य सहायक नदियों की तुलना में उत्तर प्रदेश में पांडु और वरुणा नदी के मिलने से गंगा मैली हो रही है। बिहार में पटना से गिरने वाले तीन नालों राजापुर नाला, मंदीरी नाला और अंताघाट नाले से गंगा में सबसे ज्यादा गंदगी पहुंच रही है।

  • 3500 एमएलडी सीवर का पानी हर दिन गंगा में मिलता है। इसमें 1100 एमएलडी उपचारित, जबकि 2400 एमएलडी सीधे गंगा में जाता है।
  • गंगा में प्रदूषण की निगरानी के लिए गंगोत्री से गंगासागर तक मुख्य धारा में और सहायक नदियों और बड़े नालों में कुल 36 रियल टाइम वाटर मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हैं। इनमें से 18 गंगा, 9-9 सहायक नदियों व नालों में लगे हैं।
  • 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू।
  • 97 शहर व कस्बे हैं गंगा किनारे।


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सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें गंगा का पानी लॉकडाउन के दौरान एकदम पारदर्शी दिखाया गया है।


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