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Thursday, April 30, 2020
ప్రముఖ నటుడు ఇర్ఫాన్ ఖాన్ కన్నుమూత.. ప్రాణాంతక వ్యాధితో పోరాడుతూ..
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బాలీవుడ్ హీరోయిన్ బాత్రూం వీడియో వైరల్.. 600 మిలియన్ల వ్యూస్.. మత్తెక్కించే వీడియో ఇదే
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చేతబడి చేయించింది.. విడిపోయాక సంతోషంగా ఉన్నా.. కంగనాపై మాజీ ప్రియుడి కామెంట్స్
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బ్రేకింగ్: ఇర్ఫాన్ ఖాన్ ఆరోగ్యం విషమం.. ఆస్పత్రిలో చేరిక.. తల్లి మరణించిన మరసటి రోజే
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బాల్య స్నేహితులకు షాకిచ్చిన దీపిక పదుకోన్.. లాక్డౌన్లో ఏం చేశారంటే..
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వారి కోసం మరో రూ. 2 కోట్లు.. కొనసాగుతున్న అక్షయ్ సాయం.. ఇప్పటికి రూ. 30 కోట్ల భారీ విరాళం!
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రెండోసారి కూడా రొమాన్స్ చేస్తూ దొరికేశాడు.. మాజీ ప్రియుడి గుట్టు బయటపెట్టిన దీపికా పదుకొనె
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సిగరెట్లు కాల్చి ముఖంపై కొట్టాడు.. గదిలో బంధించి.. చంపుతానని బెదిరించాడు.. ప్రీతి జింటా
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స్పెయిన్లో దారుణ పరిస్థితుల్లో నా ప్రియుడు.. ఆందోళనలో బాలీవుడ్ బ్యూటీ
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కనికా కపూర్కు మరో షాక్.. ఇన్స్టాగ్రామ్లో పోస్ట్.. మరుసటి రోజే పోలీసుల నోటీసులు
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చీర కట్టుకుంటే అలాంటి ఫీలింగ్ వచ్చేస్తుంది.. భర్తతో ప్రియాంక చోప్రా ఫుల్ రొమాన్స్
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అందుకే నోరు మూసుకొన్నా.. అప్పుడే గుట్టు బయటపడుతుంది.. కనికా కపూర్
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బాలీవుడ్ జెర్సీలో ఇండియన్ క్రికెటర్స్.. కబీర్ సింగ్ లక్కు మామూలుగా లేదు!
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ఇర్ఫాన్ ఖాన్ కుటుంబంలో తీవ్ర విషాదం.. బాలీవుడ్ ప్రముఖుల ఓదార్పు
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ఊర్వశి రటేలా ఫేస్బుక్ హ్యాక్.. డబ్బు డిమాండ్ చేస్తున్న హ్యాకర్లు
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మా అమ్మకు దీపికా అంటే ఇష్టం.. బ్రేకప్కు ఆమె కారణం కాదు.. ఓపెన్ అయిన రణ్బీర్ కపూర్
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లాక్ డౌన్ వేళ దిషా పటానీ, టైగర్ ఒకే ఇంట్లో!.. మా ముగ్గురికి అది ఇష్టం.. హీరో సోదరి క్లారిటీ
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లాక్డౌన్ సమయంలో సీనియర్ నటి ఇంట్లో మందుపార్టీ.. పోలీసుల కేసు నమోదు
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భర్త విరాట్ కోహ్లీ చేతిలో ఓడిన అనుష్క శర్మ.. లాక్డౌన్లో చిలిపి ఆటలు..
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ఆ తల్లిని కష్టపెట్టొద్దు.. గుండెలు పిండేసిన ప్రియాంక పోస్ట్
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గుండెపోటుతో ప్రముఖ నటి కన్నుమూత, షాక్లో బాలీవుడ్
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మరోసారి బడా హీరో అనిపించుకున్నాడు.. సల్మాన్ క్రేజ్ చూస్తే షాకవ్వాల్సిందే!
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వావ్.. ఏక్తాకపూర్.. బాధితులకు అకౌంట్లోకి నేరుగా ఆర్థిక సాయం
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Wednesday, April 29, 2020
Coronavirus live updates: China reports 22 new cases; Mexico infections surge by 1,223
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Three daily labourers in Odisha killed in stone quarry mishap
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भोपाल में तोपों से होता था चांद का ऐलान, रातभर खुली रहती थी चाट गली, इस बार टूट गईं कई परंपराएं

रमजान के मौके पर भोपाल की गलियों को भले ही इस बार लॉकडाउन ने सूना कर दिया हो, लेकिन लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। लोग मस्जिदों में नहीं जा पा रहे लेकिन घरों में इबादत में लगे हैं। नवाबों के दौर से ही भोपाल में रमजान की एक अलग रवायत रही है। चाहे खाना-पीना हो या तोपों से चांद का ऐलान करने की परंपरा रही हो। चाहे चाट गली के स्वादिष्ट व्यंजन हों या चौक बाजार की रौनक। भोपाल की अपनी एक अलग पहचान है।
जो बाजार रातभर गुलजार होते थे, वो सूने पड़े हैं
रमजान पर लखेरापुरा, इब्राहिमपुरा, चौक बाजार, लोहा बाजार, आजाद मार्केट देर रात तक गुलजार हुआ करते थे। खाने-पीने के साथ ही कपड़ा, ज्वेलरी, जूते-चप्पल, सजावट का सामान, इलेक्ट्रॉनिक आयटम के साथ ही वाहनों की भी जमकर खरीदी हुआ करती थी, लेकिन अभी सब ठंडा है। किराना व्यापारी महासंघ, भोपाल के महासचिव अनुपम अग्रवाल कहते हैं कि, 20 से 25 करोड़ की ग्राहकी तो प्रभावित हुई है, लेकिन यह नुकसान नहीं है क्योंकि ग्राहक का पैसा ग्राहक के पास है और व्यापारी का माल व्यापारी के पास है। 3 मई के बाद छूट मिलती है तो अच्छी ग्राहकी हो सकती है। किराना का तो पूरा सामान सप्लाई किया ही जा रहा है।
वे कहते हैं कि, ईद के एक दिन पहले चांद रात में भी शहर में जमकर खरीदी होती है। भोपाल में तो यह परंपरा भी रही है कि चांद रात के दिन कोई व्यापारी किसी ग्राहक को वापिस नहीं लौटाता। मुनाफा न कमाकर या थोड़ा बहुत नुकसान उठाकर भी माल दे देता है। ऐसा मुस्लिम और हिंदू दोनों व्यापारी ही सालों से करते आ रहे हैं।

फोटो भोपाल के जहांगीराबाद का है। इफ्तारी के चलते प्रशासन ने कुछ समय शाम को दुकानों को छूट दी है।
फतेहगढ़ किले के बुर्ज पर रखी तोप से होता था ऐलान
एनसीईआरटी के डिपार्टमेंट ऑफ लैंग्वेज में प्रोफेसर रहे मोहम्मद नौमान खान कहते हैं कि, कई ऐसी बातें हैं, जो भोपाल को एक विशेष पहचान देती हैं। 'यहां नवाबों के दौर में फतेहगढ़ किले के बुर्ज पर रखी तोप चलाकर चांद के दिखने का ऐलान किया जाता था। सहरी और इफ्तार के वक्त भी तोप चलती थी। उस समय तोप की आवाज मंडीदीप से बैरसिया तक गूंजती थी, क्योंकि तब न शहर में वाहनों की आवाजों का इतना शोर नहीं था, जितना आज है।
यह काम सरकारी बजट से ही होता था और रियासत ही इसका पूरा प्रबंध करती थी। बाद में यह सिलसिला बंद हो गया और फिर जगह-जगह गोले छोड़कर ऐलान किया जाने लगा।' प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले फैजल मोहम्मद खान बताते हैं कि, नवाबी दौर में तो सुबह 4 बजे के करीब आदमी आकर आवाज लगाते थे कि सहरी कर लीजिए। जो आवाज देने आता था, उसे ईनाम भी दिया जाता था। अब तो यह परंपरा चली गई क्योंकि पटाखों के जरिए आवाज तो अभी भी की जाती है।

गौहर महल के पास स्थित नवाब कालीनसीढ़ी घाट वाली मस्जिदमें कोरोनावायरस संक्रमण के डर से जनामाज
(जिस पर बैठकर नमाजी की जाती है) कोभी बाहर धूप में सुखाया जा रहा है, ताकि वायरस हो तो खत्म हो जाए। फोटो : शान बहादुर।
दिन में दुकानें नहीं खुला करती थींस
प्रोफेसर नौमान के मुताबिक, 'नवाबी दौर में शहर में रमजान के दौरान दिन में दुकानें नहीं खुला करती थीं, ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि रोजा रखने वालों का कहीं ध्यान न भटके। खाने-पीने का मन में लालच न आए। पकवानों के पकने की खुशबू न आए। तब दुकानों पर दोपहर में पकवानों की तैयारी शुरू होती थी और शाम के समय इन्हें पकाया जाता था। इफ्तारी के बाद लोग दुकानों पर खाने-पीने पहुंचते थे। अब भी बाजार में इफ्तारी के बाद रौनक होती है, लेकिन अब दुकानें दिन में भी खुली रहती हैं। हालांकि कुछ दिनों पर परदा डाल दिया जाता है, जिसे शाम को हटाया जाता है।
नुक्ती और खारे के मिक्सचर के लिए भोपाल पुराने समय से जाना जाता है। नुक्ती और खारे सालभर नहीं मिलते थे, लेकिन रजमान के महीने में जगह-जगह नुक्ती और खारे की दुकानें आज भी लगी देखी जा सकती हैं। इसमें हरी, लाल, पीली नुक्ती और सेंव मिलाए जाते हैं। नुक्ती-खारे खाने का कल्चर भोपाल से ही फैला है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी ठीक होते हैं। इनसे नमक और मीठा दोनों ही शरीर को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिल जाते हैं। शबीना भी भोपाल के कल्चर का हिस्सा रही है। इसमें रात भर खुद की इबादत की जाती है। बड़े परिवारों में इसका आयोजन किया जाता था। सेहरी के पहले तक कुरान का पाठ चलता था। लोग खाते-पीते थे। कुरान सुनते थे। चाय-नाश्ता चलता था। इसमें तीन से चार दिन या हफ्तेभर में कुरान का पाठ पूरा कर लिया जाता था। शबीना भोपाल का खास ट्रेडीशन रहा है। कुछ मस्जिदों में भी इसका आयोजन किया जाता था।

भोपाल में सामूहिक रोजा इफ्तार की परंपरा करीब 60 साल पुरानी है। इस बार शहरकाजी ने घर पर हीइबादत करने की अपील की है।
सफेद रंग से सजा होता था शहर
नवाबी रवायतोंकी गहरी समझ रखने वाले आर्किटेक्ट एसएम हुसैन कहते हैं कि, रमजान शुरू होते है पूरे भोपाल में रौनक आ जाया करती थी। पुराने समय में सरकारी बिल्डिंगों से लेकर घरों तक को चूने से पुतवाया जाता था। हर जगह सफेद रंग दिखता था, क्योंकि यह पैगंबर साहब का पसंदीदा रंग है। हर मस्जिद में तरावीह की जाती थी।
जिस दिन कुरान शरीफ का पाठ पूरा होता था, उस दिन मस्जिदों में डेकोरेशन भी होता था। बिजली नहीं आने के पहले रोशनी के जरिए यह किया जाता था, बाद में लाइटें लगने लगीं। चिरागदानों से रोशनी की जाती थी। इसमें सरकार की तरफ से तेल भरवाया जाता था।

इस बार शॉपिंग नहीं कर पा रहे
मोहम्मद नसीम बताते हैं, जिस गंगा जमुनी तहजीब की बात देशभर में की जाती है, भोपाल पुराने समय से ही इसका गवाह रहा है। रमजान माह में जामा मस्जिद के बाहर तक नमाजी नमाज पढ़ा करते थे, तब हिंदू कपड़ा व्यापारी थान में नया कपड़ा निकालकर नमाजियों को बैठने के लिए दे दिया करते थे। यह भाईचारा भोपाल में ही देखने को मिला करता था।
चौक बाजार में शीर खुरमा, सेवइयां, शीरमाल आदि व्यंजन खाने बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग जाया करते थे। शहर में सामूहिक इफ्तारी का कल्चर भी पुराने समय से रहा है। रात में बाजार गुलजार होते हैं। चटोरी गली रातभर खुलती है। तरावीह पढ़ने के बाद लोग वहां जाकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। कपड़े, जूतों, ज्वेलरी की दुकानें रात में खुलती हैं और दिन में बंद हुआ करती हैं। लोग रात में शॉपिंग करते हैं। पूरा बाजार रात में गुलजार होता है। खाने-पीने और शॉपिंग का यह कल्चर अभी भी जिंदा है, इस बार बस लॉकडाउन ने रमजान का रंग फीका कर दिया है।
इस बार टूट गईं कई परंपराएं
- प्रो. नौमान कहते हैं कि, इस बार कई परंपराएं लॉकडाउन की वजह से टूट गईं। पहली बार मस्जिदों में नमाज नहीं हो रही। पहली बार तरावीह मस्जिदों में नहीं हो रही। हाफिज सामूहिक तौर पर मस्जिदों में तरावीह करवाया करते थे, लेकिन इस बार सबको घर पर ही करना है।
- जुमे की नमाज भी शायद पहली दफा मस्जिदों में नहीं हो पा रही। जुमे की नमाज घरों में नहीं पढ़ी जा सकती।
- प्रो. नौमान के मुताबिक, 18वीं सदी में भी प्लेग महामारी के चलते इस तरह की दिक्कतें आईं थीं। तब के बाद अब 2020 में ऐसे हालात बने हैं, जब सब बंद हो गया है।
- इस बार इफ्तार पार्टीकी परंपरा भी टूट गई क्योंकि लोग एक-दूसरे से मिल ही नहीं सकते। न शॉपिंग, न खाना-पीना। हालांकि वे कहते हैं कि, यह सब कदम हमारी जिंदगी बचाने के लिए उठाए गए हैं, जिंदगी होगी तो ये सब फिर शुरू हो जाएगा।
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देश के इन 8 मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन 100 गुना तक बढ़ा, ऑनलाइन अभिषेक-प्रसाद बुकिंग में 90 फीसदी गिरावट

(प्रमोद कुमार)कोरोना से लोगों की आस्थाके स्वरूप में भी बदलाव आया है। अच्छी बात यह है कि मंदिर के पट बंद हैं तो लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। भास्कर ने इस ट्रेंड को चेक किया तो पता चला कि देश के प्रमुख 8 मंदिरों में ही एक माह में 2 से 100 गुना तक ऑनलाइन दर्शन बढ़ा है। हालांकि, दूसरी तरफ मंदिर प्रबंधकों के अनुसार ऑनलाइन पूजा, अभिषेक, हवन, प्रसाद बुक करवाने वालों की तादाद केवल 10 फीसदी बची है। लोग अभी ऑनलाइन दान नहीं कर रहे हैं। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट...
1. शिर्डी साईं मंदिर ऑनलाइन दर्शन के लिए भक्तों की संख्या दोगुनी से ज्यादा
शिर्डी:यहां लॉकडाउन के दौरान वेबसाइट पर रोज 30 हजार लोग ऑनलाइन दर्शन करते हैं। जबकि पहले रोजाना करीब 16 हजार लोग पेज पर आते थे। वहीं मोबाइल ऐप, टाटा स्काई, जियो टीवी पर ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख है। शिर्डी संस्थान के आईटी हेड अनिल शिंदे के मुताबिक, लॉकडाउन में ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। दूसरी तरफ इस दौरान ऑनलाइन दान 95% कम हुआ है। पूजन सामग्री की ऑनलाइन बुकिंग नहीं हो रही है।
(दर्शन समय- सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक)
2. सिद्धि विनायक एक महीने में एक करोड़ लोगों ने लाइव दर्शनकिए
मुंबईःलॉकडाउन के दौरान रोज 3 लाख लोग लाइव दर्शन कर रहे हैं। जबकि जनवरी-फरवरी में रोजाना एक लाख लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे। मंदिर ट्रस्ट के अनिल परव के मुताबिक, वेबसाइट के अलावा जियो, यू-ट्यूब, एफबी पर भी लाइव दर्शन सुविधा है। एक टेलीकॉम कंपनी के अनुसार महाराष्ट्र, मुंबई, गोवा में पिछले साल मार्च-अप्रैल में 30 लाख के मुकाबले इस साल एक करोड़ लोग किसी न किसी प्लेटफॉर्म पर लाइव दर्शन कर रहे हैं। यानी रोज 3 लाख से ज्यादा।
(समय- सुबह 7 से रात 9 बजे तक)
3. वैष्णो देवी 10 हजार ऑनलाइन दर्शक बढ़े, अटका आरती भी लाइव
जम्मूःअप्रैल 2019 में यहां 7 लाख लोग दर्शन करने आए थे, लेकिन इस बार कोरोना के कहर से मंदिर में केवल पुजारी ही प्रवेश कर पा रहे हैं। मंदिर की वेबसाइट पर सुबह और शाम अटका आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, वेबसाइट और ऐप के अलावा श्रद्धा चैनल पर भी आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है। लॉकडाउन से पहले वेबसाइट पर 5 हजार लोग ऑनलाइन लाइव दर्शन करते थे, लेकिन अब रोजाना 15 हजार से ज्यादा लोग दर्शन कर रहे हैं।
(समय- सुबह 6.30 और शाम 7.20 बजे तक)
4. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 45 देशों के ढाई करोड़ लोगों ने दर्शन किए, पहले केवल 3 लाख
सोमनाथ:वेबसाइट, एफबी पेज, ट्विटर और ऐप पर दर्शन होते हैं। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के जनरल मैनेजर विजय सिंह चावड़ा बताते हैं कि पिछले एक महीने में दुनिया के 45 देशों के ढाई करोड़ लोगों ने ऑनलाइन दर्शन किए हैं। जबकि लॉकडाउन से पहले एक महीने में औसतन 3 लाख लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे। पिछले एक महीने में ऑनलाइन पूजन, दान-पुण्य, अभिषेक, प्रसादी आदि की बुकिंग बहुत कम हुई है। रुटीन ऑनलाइन बुकिंग का यह ज्यादा से ज्यादा 5 प्रतिशत होगा।
(समय- सुबह 6 बजे से शाम 7.30 बजे तक)
5. काशी विश्वनाथ रोज दर्शन करने वाले श्रद्धालु करने लगे ऑनलाइन दर्शन
वाराणसी:मंदिर की वेेबसाइट के अलावा एफबी और ऐप पर लाइव दर्शन की सुविधा है। मंदिर ट्रस्ट के विवेक पांडे के अनुसार, ऑनलाइन दर्शन की संख्या 15 से अब 25 हजार हो गई है। लाॅकडाउन में काशी विश्वनाथ के प्रतिदिन दर्शन करने वाले स्थानीय भक्तों को भी अब ऑनलाइन ही दर्शन करना पड़ रहा है, इसलिए यह संख्या बढ़ी है। पूजन, भजन, जाप, प्रसादी वाले लोग ऑनलाइन निवेदन नहीं कर रहे हैं। न ही फोन पर जाप के लिए कह रहे हैं।
(समय- सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक)
6. चिंतपूर्णी माता लॉकडाउन के दिन से ही शुरू की ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था
कांगड़ा:विश्व प्रसिद्ध माता मंदिर के पट कोरोना के कारण जैसे ही श्रद्धालुओं के लिए बंद हुए, वैसे ही मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन रियलटाइम दर्शन की व्यवस्था बनाई। अब तकरीबन 10 हजार लोग रोज घर बैठे माता और आरती के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर अधिकारी मनोज ठाकुर बताते हैं कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन ही हमने यूट्यूब चैनल बनाया और वेेबसाइट से लिंक किया। साथ ही एफबी और यूट्यूब पर पेज बनाकर ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की।
(समय- 24 घंटे दर्शन)
7. महाकालेश्वर मंदिर में 10 गुना बढ़े ऑनलाइन फाॅलोअर
उज्जैनःमहाकाल के ऑनलाइन भक्त भी 10 गुना बढ़ गए हैं। मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत के अनुसार, 22 मार्च से 15 अप्रैल के बीच 68 हजार 512 लोगों ने ऑनलाइन दर्शन किए। फेसबुक पर दर्शन करने वाले 10 गुना बढ़कर 55 लाख 41 हजार हो गए। यूट्यूब पर लगभग 5 हजार लोग लाइव दर्शन करते हैं।
(समय- सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक)
8. बांके बिहारी पहले 10 हजार, अब 50 हजार भक्त कर रहे दर्शन
मथुराःबांके बिहारी मंदिर के एप पर जनवरी-फरवरी में 10 हजार लोग लाइव दर्शन करते थे, अब 50 हजार हो गए हैं। मंदिर प्रबंधक मुनेश शर्मा के मुताबिक, ऐप और फेसबुक पेज पर लाइव आरती का प्रसारण किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक, फोन पर होने वाली पूजन बुकिंग नहीं आ रही है।
(समय- सुबह, दोपहर, शाम की आरती का लाइव दर्शन)
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ट्रम्प ने 51 दिन में 2.60 लाख शब्द बोले; 600 बार खुद की तारीफ, 360 बार दूसरों का श्रेय लिया, 110 बार आरोप लगाए

(जेरेमी डब्ल्यू पीटर्स, एलैना प्लॉट, मैगी हैबरमैन)अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं। वे कोरोना को लेकर व्हाइट हाउस में ब्रीफिंग करते हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स के तीन पत्रकारों ने उनके हर शब्द का विश्लेषण किया है। 9 मार्च से लेकर अब तक वे 2.60 लाख शब्द बोल चुके हैं। इनमें सबसे 600 से ज्यादा बार उन्होंने कोरोना संकट पर अतिश्योक्ति और झूठे वादे करते हुए खुद की तारीफ की और बधाई दी। इनके अलावा दूसरों पर आरोप लगाने, दूसरों का श्रेय लेने जैसी बातें भी कीं।
13 घंटे के भाषण में 2 घंटे आरोप, 45 मिनट खुद की तारीफ, पीड़ितों को सिर्फ 4 मिनट
पिछले तीन हफ्तों में ट्रम्प ने करीब 13 घंटे का भाषण दिया। इस दौरान सबसे ज्यादा 2 घंटे दूसरों पर आरोप लगाने में बर्बाद हुए। इसके बाद सबसे ज्यादा 45 मिनट खुद की तारीफ में लगाए। आधा घंटा डेमोक्रेट्स को घेरने में लगाया, 25 मिनट मीडिया की बुराई की, 21 मिनट चीन पर हमले किए और करीब 22 मिनट गवर्नर्स की तारीफ और आलोचना को लेकर बात की। सबसे बड़ी और दुखद बात यह कि जिस कोरोनावायरस पर ट्रम्प ने ब्रीफिंग की, उसके पीड़ितों के बारे में सिर्फ साढ़े चार मिनट बात की।
जितनी सहानुभूति, उसकी चार गुना खुद की तारीफ
ट्रम्प ने खुद को कोरोना के महानायक के रूप में पेश किया। उन्होंने जितना पीड़ितों का जिक्र किया, उससे चार गुना ज्यादा खुद की तारीफ कर दी।
- 600 से ज्यादा बार झूठे दावे करते हुए खुद को बधाई दी।
- 400 बार गवर्नर्स का जिक्र किया।
- 360 बार दूसरे का श्रेय ले लिया।
- 160 बार सहानुभूति जताई, उसमें भी अपनी और स्टाफ की तारीफ।
- 110 बार दूसरों पर आरोप लगाए।
- 30 बार पूर्व सरकारों को अमेरिका की स्थिति बिगाड़ने का दोषी बताया।
ऐसे बयान देते रहे ट्रम्प
- यूएसएफडीए कमिश्नर के लिए कहा- उन्होंने हर किसी से ज्यादा मेहनत की। फिर कहा- जैसे मैंने।
- ये झूठ भी कहा कि इमरजेंसी में देश में कहीं भी वेंटिलेटर नहीं थे।
- 27 मार्च को कहा- किसी ने ऐसा कुछ नहीं किया है जैसा हमने किया।
- 13 अप्रैल: गवर्नर मेरे काम से इतने संतुष्ट हैं कि किसी ने यह नहीं कहा कि मुझे क्या करना चाहिए।
- मीडिया के लिए कहा कि वे कभी श्रेय नहीं देते, जिसका मैं हकदार हूं।
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सैंपल लेने वाली टीम की सदस्य ने कहा- मरीज छींक भी दे तो 2 साल का बच्चा आंखों के सामने आ जाता है

(सुनील सिंह बघेल)कोरोनावायरस का सैंपल लेने वाला व्यक्ति, संदिग्ध या संक्रमित की छींक तो ठीक उसकी सांसों की जद से भी बस चंद इंच की दूरी पर होता है। उन्हें हर वक्त संक्रमित होने का खतरा होता है।दैनिक भास्कर ने इंदौर मेंरोजाना 60 से 70 सैंपल लेने वाली इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की टीम से समझी सैंपलिग से जुड़े खतरे, उनकी मनोदशा और संक्रमण की दहशत पर काबू पाने की कहानी।
क्वारैंटाइन हुईं, ठीक होकर फिर संभाला मोर्चा
सैंपलिंग टीम का नेतृत्व करने वाली इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की 68 वर्षीय प्रो. अवनिंदर नैयर जब दिल्ली से लौटीं तो तेज बुखार था। पहले वे खुद क्वारैंटाइन हुईं। रिपोर्ट निगेटिव आई फिर डट गईं इलाज के मोर्चे पर। वे कहती हैं- शुरुआती दौर में सबके लिए कोरोना और मौत एक-दूसरे के पर्याय थे। मैंने एक ही बात कही कि भारत-पाकिस्तान का युद्ध हो और फौजियों को उनके घर वाले घर बैठा ले तो क्या होगा। यह भी एक युद्ध है। खुद सैंपल लेकर दिखाए। अब हम इंदौर में कहीं भी सेवाएं देने को तैयार हैं।

जरा सी चूक और संक्रमण का खतरा
सैंपल लेने से लेकर उसे एमजीएम कॉलेज की वायरोलॉजी लैब तक रोज पहुंचाने का जिम्मा उठा रखा है ओरल पैथोलॉजी के रीडर डॉ. धीरज शर्मा ने। वे कहते हैं- गले से स्वाब या नाक से नमूने ले रहे होते हैं, वह चंद सेकंड बहुत तनाव भरे होते हैं। संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा भी तभी होता है। इतनी गर्मी में पीपीई किट बहुत घुटनभरे हो जाते हैं। अब तो आदत हो गई है। जब डर का स्थान जज्बा और जुनून और जिम्मेदारी ले लेती है तो यह सब बातें बेमानी हो जाती हैं।
फौजी पति से मिला संबल
ओरल रेडियोलॉजी रीडर डॉ. दीप्ति सिंह हाड़ा बताती हैं- डर तो नहीं लगा, क्योंकि स्वाइन फ्लू का भी एक अनुभव था। लेकिन सच कहूं तो शुरुआती दौर में जब सैंपल लेती और संदिग्ध छींक भी देता था तो चंद सेकंड के लिए 2 और 4 साल के बच्चों की तस्वीर आंखों के सामने घूम जाती थी। लेकिन पति सेना में रहे हैं, खुद भी डॉक्टर हैं इसलिए चुनौती आसान हो गई। हर सैंपल के पहले और बाद में खुद को सैनिटाइज करते हैं।हर बार नए दास्ताने और किट की पूरी जांच करने के बाद सैंपल लेते हैं।
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रिकवरी रेट बढ़ा, मृत्यु दर घटी, वेंटिलेटर भी 90% खाली, क्वारैंटाइन से घर पहुंचे 1401

(संजय गुप्ता )शहर में मंगलवार को 94 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जबकि दोकी मौत हो गई। मृतकों में एमजी रोड निवासी राधेश्याम और अनूप नगर निवासी अब्दुल मंसूरी शामिल हैं। वहीं, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से 48 कोरोना संक्रमितों को जबकि दो को चोइथराम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह 1 दिन में डिस्चार्ज होने वालों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। डिस्चार्ज हुए मरीजों में 7 साल की बच्ची जेबा चोटानी से लेकर 65 साल की बुजुर्ग बिल्किस बी भी शामिल हैं। सभी मरीजों का फूल हार से स्वागत किया गया।
इस अवसर पर मौजूद मंत्री तुलसी सिलावट ने सब को बधाई देते हुए ठीक हुए लोगों से प्लाज्मा दान देने की भी अपील की है।अच्छी खबर ये है कि शहर में मरीजों का रिकवरी रेट बढ़ा है और मृत्यु दर घटी है। इसका असर यह हुआ कि अस्पतालों में 90%वेंटिलेटर खाली पड़े हैं। क्वारैंटाइन केंद्र के प्रभारी और आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने बताया कि पीक समय हमारे 46 क्वारैंटाइन केंद्रों में2471 तक लोग पहुंच गए थे, लेकिन इसमें से 1401 घर चले गए हैं, वहीं पॉजिटिव रिपोर्ट आने के चलते 402 अस्पताल शिफ्ट हुए। अब केंद्रों में केवल 668 लोग ही हैं।
ठीक हुए मरीज
- इंदौर, 14 अप्रैल 6.3%,586 में से 37 डिस्चार्ज
- इंदौर, 28 अप्रैल 12.90%, 1372 में से 177 डिस्चार्ज
- भोपाल 30.34%,458 में से 139 डिस्चार्ज
- मप्र 15.79%, 2387 में से 377 डिस्चार्ज।
मृत्यु होने की दर
- 14 अप्रैल को मृत्यु दर 6.3%,(586 में से 39 की मौत)
- 28 अप्रैल मृत्यु दर 4.59%,(1372 में से 63 की मौत)
- गंभीर मरीज- अभी भर्ती 1089 मरीज में से 43 की हालत गंभीर है, यानी 3.9 फीसदी गंभीर है।
आईसीयू, वेंटिलेटर की स्थिति
- 77 वेंटिलेटर शहर में,9 का उपयोग, 91% खाली।
- 113 बायपैप, 38 खाली
- 309 आईसीयू बैड 94 खाली, करीब 30 फीसदी खाली है।
- 1895 आईसोलेशन बैड 858 यानी आधे से ज्यादा खाली है।
क्वारैंटाइन हाउस से निकले लोग
- पीक समय हमारे 46 क्वारैंटाइन केंद्रों में2471 तक लोग पहुंच गए थे, लेकिन इनमें से 1401 घर चले गए हैं।
- दो दिनों मेंनए सैंपल में पॉजिटिव आने की दर 10 से 11 फीसदी है, वहीं पुराने सैंपल जो 12 से 22 अप्रैल के बीच लिए गए इसमें 20 से 24 फीसदी तक पॉजिटिव आए हैं।
सात साल की जेबा और एक साथ स्वस्थ होकर घर गए लोगों की सबसे बड़ी तादाद
इंडेक्स अस्पताल से 48 व चौइथराम से कोरोना के 2 मरीज स्वस्थ होकर लौटे। माता-पिता के साथ इंडेक्स में भर्ती रही 7 साल की जेबा चोटानी भी इनमें थीं। उसने कहा-छोटे जुड़वा भाइयों की बहुत याद आती थी। खिला तो नहीं पाऊंगी पर आज कम से कम उनको ठीक से देख तो लूंगीं। सब घर में संभल कर रहें ताकि यहां न आना पड़े।
अरबिंदो में 3 को प्लाज्मा चढ़ाया, दो की रिपोर्ट निगेटिव
अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में 2 दिन पहले जिन तीन संक्रमित को प्लाज्मा चढ़ाया गया था, मंगलवार को उनमें से दो की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसी बीच एक और व्यक्ति के प्लाज्मा डोनेट करने के बाद देर रात चौथे व्यक्ति पर ट्रायल शुरू कर दिया गया है। डॉ. रवि डोशी के मुताबिक कोरोना संक्रमित पर प्लाज्मा थेरेपी के अंतिम परिणाम आने में अभी समय लगेगा।लेकिन, शुरुआती संकेत आशा जनक रहे हैं।
प्लाज्मा देने के बाद आरामदायक स्थिति में मरीज- डॉ. डोशी
डॉ. रवि डोशी के मुताबिक तीनों पहले के मुकाबलेतुलनात्मक रूप से आरामदायकस्थिति में है। पहले के मुकाबले कम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। मंगलवार देर शाम आई रिपोर्ट में आईडीए इंजीनियर कपिल भल्ला और अनीश जैन मे संक्रमण निगेटिव आया है। तीसरे संक्रमित की रिपोर्ट आना बाकी है। अरविंदो के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया कि तीनों संक्रमितों को प्लाज्मा का दूसरा डोज भी दे दिया गया है। इसी बीच साईं धाम कॉलोनी के करण सिसोदिया के प्लाज्मा देने के बाद मंगलवार देर रात चौथे मरीज पर भी प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू कर दिया गया है।
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अमेरिका में नौकरी जाने के मामले में लास वेगास हॉटस्पॉट बना, 2008 की मंदी के मुकाबले बेरोजगारी दर दोगुनी होकर 25%

(सबरिना टेवरनीस)अमेरिका कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है। यहां मरीजों की संख्या 10 लाख पार गई है। साथ ही अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। यूएस में जिस तरह न्यूयॉर्क कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है, उसी तरह लास वेगास शहर नौकरियां जाने के मामले में हाटस्पॉट है।
लास वेगास स्थित इकोनॉमक रिसर्च फर्म एप्लाइड एनालिसिस के मुताबिक, शहर मे वर्तमान बेरोजगारी दर 25 फीसदी से ज्यादा है। यह 2008 की मंदी के मुकाबले लगभग दोगुनी है। संकट शुरू होने के बाद सिर्फ नेवादा स्टेट में 3.50 लाख लोगों ने नौकरी जाने के बाद बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है। यह नेवादा स्टेट में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
लास वेगास की एक तिमाही अर्थव्यवस्था हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से जुड़ी
व्हाइट हाउस के सलाहकार केविन हसेट के मुताबिक, कोरोनाके चलते अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर 16 फीसदी तक पहुंच सकती है। अगर राष्ट्रीय औसत से भी देखा जाए तो लास वेगास में नौकरी जाने का अनुपात 9 फीसदी अधिक है। इसकी मुख्य वजह है शहर की अर्थव्यवस्था। लास वेगास अमेरिका में एक ऐसे शहर के रुप मे जाना जाता है, जहां लोग मौजमस्ती करने और छुट्टियां बिताने जाते हैं। यहां जुआघर से लेकर पब, रेस्त्रां, होटल्स की भरमार है। लास वेगास शहर की एक तिमाही अर्थव्यवस्था मौजमस्ती और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से जुड़ी है। यह देश के किसी भी दूसरे शहर से ज्यादा है।
कोरोना के बाद मौजमस्ती में डूबा रहने वाला शहर अब सुनसान
नेवादा स्टेट जहां लास वेगास स्थित है, देश में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। महामारी के बाद पूरी रात मौजमस्ती और चकाचौंध में डूबा रहने वाला शहर अब सुनसान पड़ाहै। हजारों वेटर, बारटेंडर, होटल क्लीनर और कैसिनों वर्कर बेकार हो गए हैं। मेयर करोलिन पर शहर को फिर से खोलने का भारी दबाव है क्योंकि इसकी पूरी अर्थव्यवस्था टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी पर निर्भर है। हालांकि गवर्नर स्टीव सिसोलक ने कहा है कि अभी हम शहर खोलने की स्थिति में नहीं है।
अमेरिका में बेरोजगारी 16% तक पहुंच सकती है: व्हाइट हाउस सलाहकार
व्हाइट हाउस के सलाहकार केविन हसेट के मुताबिक, कोरोना संकटके चलते अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर 16 फीसदी तक पहुंच सकती है। केविन ने कहा कि यह हमारी इकोनॉमी के लिए बहुत बड़ा झटका है। 1930 की महामंदी के बाद से यह हमारे लिए सबसे मुश्किल दौर है। अमेरिकी लेबर डिपार्टमेंट के मुताबिक, अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगारी भत्तों के लिए अपना आवेदन दे चुके हैं। महामारी के पहले अमेरिका में बेरोजगारी दर 50 साल के नीचले स्तर 3.5 फीसदी पर थी। लेकिन महामारी के बाद ऐसे हालात बन गए हैं कि बेरोजगारी बड़ी समस्या बन गई है।
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भारत के लिए अच्छे संदेश; धूप, 22 डिग्री से ज्यादा गर्मी और 80% नमी हो तो 2 मिनट में आधे हो रहे वायरस कण

(पवन कुमार)वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के नमूनों पर एक शोध किया है। इसके परिणाम भारतीय वातावरण के हिसाब से सुखद हैं। अध्ययन के मुताबिक, अगर धूप हो, तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो और नमी 80% तक हो तो जमीन पर वायरस की संख्या हर दो मिनट में आधी होती जाती है। अमेरिका की नेशनल बॉयोडिफेंस एनालिसिस काउंटरमेजर्स सेंटर (एनबीएसीसी) के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के नमूनों पर छह स्थितियों में अध्ययन किया है। इसमें अलग-अलग तापमान और नमी के साथ, धूप और बिना धूप की स्थिति में वायरस की लाइफ को परखा गया है।
अध्ययन में देखा गया कि सूरज की रोशनी में वायरस के कण जल्दी खत्म हो रहे हैं, लेकिन तापमान ज्यादा भी हो, लेकिन धूपनहीं हो तो वायरस ज्यादा देरतक रहता है। भारत में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बैलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के वॉयरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर एकता गुप्ता का कहना है कि अमेरिका की स्टडी भारत के लिहाज से बहुत अच्छी है। लेकिन, संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस जाने का खतरा पहले की तरह बना रहेगा। लिहाजा संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क बेहद जरूरी है।
छह स्थितियों पर अध्ययन
- 22-23 डिग्री तापमान, 20% नमी और धूप नहीं निकली हो तो जमीन पर वायरस के कण 18 घंटे में आधे हो रहे हैं।
- 22-23 डिग्री तापमान, 80% नमी, धूप न हो तो जमीन पर 6 घंटे में कण आधे होते हैं।
- 36 डिग्री तापमान, 80% नमी, धूप न हो तो जमीन पर 1 घंटे में कण आधे होते हैं।
- 22-23 डिग्री तापामन, 20% नमी, धूप न हो तो हवा में 1 घंटे में कण आधे होते हैं।
- 22-23 डिग्री तापमान, 80% नमी, धूप हो तो जमीन पर 2 मिनट में कण आधे हो जाते हैं।
- 22-23 डिग्री तापमान, 20% नमी, धूप हो तो हवा में डेढ़ मिनट में कण आधे हो जाते हैं।
(यानी... हवा या जमीन पर कोरोनापूरी तरह खत्म होने में लगने वाला समय वायरस कणों की संख्या पर निर्भर करता है)
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देश के इन 8 मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन 100 गुना तक बढ़ा, ऑनलाइन अभिषेक-प्रसाद बुकिंग में 90 फीसदी गिरावट

(प्रमोद कुमार)कोरोना से लोगों की आस्थाके स्वरूप में भी बदलाव आया है। अच्छी बात यह है कि मंदिर के पट बंद हैं तो लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। भास्कर ने इस ट्रेंड को चेक किया तो पता चला कि देश के प्रमुख 8 मंदिरों में ही एक माह में 2 से 100 गुना तक ऑनलाइन दर्शन बढ़ा है। हालांकि, दूसरी तरफ मंदिर प्रबंधकों के अनुसार ऑनलाइन पूजा, अभिषेक, हवन, प्रसाद बुक करवाने वालों की तादाद केवल 10 फीसदी बची है। लोग अभी ऑनलाइन दान नहीं कर रहे हैं। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट...
1. शिर्डी साईं मंदिर ऑनलाइन दर्शन के लिए भक्तों की संख्या दोगुनी से ज्यादा
शिर्डी:यहां लॉकडाउन के दौरान वेबसाइट पर रोज 30 हजार लोग ऑनलाइन दर्शन करते हैं। जबकि पहले रोजाना करीब 16 हजार लोग पेज पर आते थे। वहीं मोबाइल ऐप, टाटा स्काई, जियो टीवी पर ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख है। शिर्डी संस्थान के आईटी हेड अनिल शिंदे के मुताबिक, लॉकडाउन में ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। दूसरी तरफ इस दौरान ऑनलाइन दान 95% कम हुआ है। पूजन सामग्री की ऑनलाइन बुकिंग नहीं हो रही है।
(दर्शन समय- सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक)
2. सिद्धि विनायक एक महीने में एक करोड़ लोगों ने लाइव दर्शनकिए
मुंबईःलॉकडाउन के दौरान रोज 3 लाख लोग लाइव दर्शन कर रहे हैं। जबकि जनवरी-फरवरी में रोजाना एक लाख लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे। मंदिर ट्रस्ट के अनिल परव के मुताबिक, वेबसाइट के अलावा जियो, यू-ट्यूब, एफबी पर भी लाइव दर्शन सुविधा है। एक टेलीकॉम कंपनी के अनुसार महाराष्ट्र, मुंबई, गोवा में पिछले साल मार्च-अप्रैल में 30 लाख के मुकाबले इस साल एक करोड़ लोग किसी न किसी प्लेटफॉर्म पर लाइव दर्शन कर रहे हैं। यानी रोज 3 लाख से ज्यादा।
(समय- सुबह 7 से रात 9 बजे तक)
3. वैष्णो देवी 10 हजार ऑनलाइन दर्शक बढ़े, अटका आरती भी लाइव
जम्मूःअप्रैल 2019 में यहां 7 लाख लोग दर्शन करने आए थे, लेकिन इस बार कोरोना के कहर से मंदिर में केवल पुजारी ही प्रवेश कर पा रहे हैं। मंदिर की वेबसाइट पर सुबह और शाम अटका आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, वेबसाइट और ऐप के अलावा श्रद्धा चैनल पर भी आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है। लॉकडाउन से पहले वेबसाइट पर 5 हजार लोग ऑनलाइन लाइव दर्शन करते थे, लेकिन अब रोजाना 15 हजार से ज्यादा लोग दर्शन कर रहे हैं।
(समय- सुबह 6.30 और शाम 7.20 बजे तक)
4. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 45 देशों के ढाई करोड़ लोगों ने दर्शन किए, पहले केवल 3 लाख
सोमनाथ:वेबसाइट, एफबी पेज, ट्विटर और ऐप पर दर्शन होते हैं। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के जनरल मैनेजर विजय सिंह चावड़ा बताते हैं कि पिछले एक महीने में दुनिया के 45 देशों के ढाई करोड़ लोगों ने ऑनलाइन दर्शन किए हैं। जबकि लॉकडाउन से पहले एक महीने में औसतन 3 लाख लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे। पिछले एक महीने में ऑनलाइन पूजन, दान-पुण्य, अभिषेक, प्रसादी आदि की बुकिंग बहुत कम हुई है। रुटीन ऑनलाइन बुकिंग का यह ज्यादा से ज्यादा 5 प्रतिशत होगा।
(समय- सुबह 6 बजे से शाम 7.30 बजे तक)
5. काशी विश्वनाथ रोज दर्शन करने वाले श्रद्धालु करने लगे ऑनलाइन दर्शन
वाराणसी:मंदिर की वेेबसाइट के अलावा एफबी और ऐप पर लाइव दर्शन की सुविधा है। मंदिर ट्रस्ट के विवेक पांडे के अनुसार, ऑनलाइन दर्शन की संख्या 15 से अब 25 हजार हो गई है। लाॅकडाउन में काशी विश्वनाथ के प्रतिदिन दर्शन करने वाले स्थानीय भक्तों को भी अब ऑनलाइन ही दर्शन करना पड़ रहा है, इसलिए यह संख्या बढ़ी है। पूजन, भजन, जाप, प्रसादी वाले लोग ऑनलाइन निवेदन नहीं कर रहे हैं। न ही फोन पर जाप के लिए कह रहे हैं।
(समय- सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक)
6. चिंतपूर्णी माता लॉकडाउन के दिन से ही शुरू की ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था
कांगड़ा:विश्व प्रसिद्ध माता मंदिर के पट कोरोना के कारण जैसे ही श्रद्धालुओं के लिए बंद हुए, वैसे ही मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन रियलटाइम दर्शन की व्यवस्था बनाई। अब तकरीबन 10 हजार लोग रोज घर बैठे माता और आरती के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर अधिकारी मनोज ठाकुर बताते हैं कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन ही हमने यूट्यूब चैनल बनाया और वेेबसाइट से लिंक किया। साथ ही एफबी और यूट्यूब पर पेज बनाकर ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की।
(समय- 24 घंटे दर्शन)
7. महाकालेश्वर मंदिर में 10 गुना बढ़े ऑनलाइन फाॅलोअर
उज्जैनःमहाकाल के ऑनलाइन भक्त भी 10 गुना बढ़ गए हैं। मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत के अनुसार, 22 मार्च से 15 अप्रैल के बीच 68 हजार 512 लोगों ने ऑनलाइन दर्शन किए। फेसबुक पर दर्शन करने वाले 10 गुना बढ़कर 55 लाख 41 हजार हो गए। यूट्यूब पर लगभग 5 हजार लोग लाइव दर्शन करते हैं।
(समय- सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक)
8. बांके बिहारी पहले 10 हजार, अब 50 हजार भक्त कर रहे दर्शन
मथुराःबांके बिहारी मंदिर के एप पर जनवरी-फरवरी में 10 हजार लोग लाइव दर्शन करते थे, अब 50 हजार हो गए हैं। मंदिर प्रबंधक मुनेश शर्मा के मुताबिक, ऐप और फेसबुक पेज पर लाइव आरती का प्रसारण किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक, फोन पर होने वाली पूजन बुकिंग नहीं आ रही है।
(समय- सुबह, दोपहर, शाम की आरती का लाइव दर्शन)
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from Dainik Bhaskar /national/news/online-darshan-in-these-8-temples-of-the-country-increased-by-100-times-online-abhishek-prasad-booking-decreased-by-90-percent-127257691.html
सैंपल लेने वाली टीम की सदस्य ने कहा- मरीज छींक भी दे तो 2 साल का बच्चा आंखों के सामने आ जाता है

(सुनील सिंह बघेल)कोरोनावायरस का सैंपल लेने वाला व्यक्ति, संदिग्ध या संक्रमित की छींक तो ठीक उसकी सांसों की जद से भी बस चंद इंच की दूरी पर होता है। उन्हें हर वक्त संक्रमित होने का खतरा होता है।दैनिक भास्कर ने इंदौर मेंरोजाना 60 से 70 सैंपल लेने वाली इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की टीम से समझी सैंपलिग से जुड़े खतरे, उनकी मनोदशा और संक्रमण की दहशत पर काबू पाने की कहानी।
क्वारैंटाइन हुईं, ठीक होकर फिर संभाला मोर्चा
सैंपलिंग टीम का नेतृत्व करने वाली इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की 68 वर्षीय प्रो. अवनिंदर नैयर जब दिल्ली से लौटीं तो तेज बुखार था। पहले वे खुद क्वारैंटाइन हुईं। रिपोर्ट निगेटिव आई फिर डट गईं इलाज के मोर्चे पर। वे कहती हैं- शुरुआती दौर में सबके लिए कोरोना और मौत एक-दूसरे के पर्याय थे। मैंने एक ही बात कही कि भारत-पाकिस्तान का युद्ध हो और फौजियों को उनके घर वाले घर बैठा ले तो क्या होगा। यह भी एक युद्ध है। खुद सैंपल लेकर दिखाए। अब हम इंदौर में कहीं भी सेवाएं देने को तैयार हैं।

जरा सी चूक और संक्रमण का खतरा
सैंपल लेने से लेकर उसे एमजीएम कॉलेज की वायरोलॉजी लैब तक रोज पहुंचाने का जिम्मा उठा रखा है ओरल पैथोलॉजी के रीडर डॉ. धीरज शर्मा ने। वे कहते हैं- गले से स्वाब या नाक से नमूने ले रहे होते हैं, वह चंद सेकंड बहुत तनाव भरे होते हैं। संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा भी तभी होता है। इतनी गर्मी में पीपीई किट बहुत घुटनभरे हो जाते हैं। अब तो आदत हो गई है। जब डर का स्थान जज्बा और जुनून और जिम्मेदारी ले लेती है तो यह सब बातें बेमानी हो जाती हैं।
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Why sea route is the only way home
UP helplines get 1 lakh calls from migrants in Maharashtra in one day
This ‘Akashvani’ warns lockdown violators to get off south Delhi roads
At ‘sealed’ Badarpur border, huge jam, spat with cops, nurse in tears
Deemed universities & their trustees come under graft act: SC
Nirmala Sitharaman rebuts Rahul Gandhi's claim, says no loan waived off
300 districts Covid-free, another 300 have very few cases: Govt
‘Monsoon to be normal, but June-July may see less rains’
Cooperstown: Wait Till Next Year?
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Nova Scotia gunman killed 9 of his 22 victims by setting fire to their houses, police say
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Tuesday, April 28, 2020
ब्रिटेन के सबसे खूबसूरत पार्क में अकेले ध्यान कर रहे बौद्ध भिक्षु मैत्रेय, बोले- कोरोनावायरस इंसानों को प्रकृति की चेतावनी

ब्रिटेन के नॉटिंघमशायर में स्वर्ग की तरह दिखने वाला एक बेहद खूबसूरत बगीचा है। इसे तैयार करने वाले जापानी बौद्धभिक्षु मैत्रेय तो यही मानते हैं। 79 साल के मैत्रेय पिछले 50 साल से ध्यान साधना कररहे हैं और 40 साल तो सिर्फ बगीचे को तैयार करने में लगा दिए, इसलिए इसे वह स्वर्ग कहते हैं।
लॉकडाउन के कारण लोग यहां घूमने नहीं आ रहे हैं। 2 एकड़ में फैले बगीचे में मैत्रेय इस समय अकेले हैं, उनका कहना है कोरोनावायरस इंसानों के लिए एक चेतावनी है। यह बेहद दुखद है कि लोग शांति और खूबसूरती को देख नहीं पा रहे लेकिन मैं खुश हूं क्योंकि मैं स्वर्ग में हूं।






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मनोबल और धैर्य कोरोना पर जीत के दो मजबूत हथियार; बीमारी से डरने की नहीं, बचने की जरूरत है

कोरोना बीमारी से आसानी से जीता जा सकता है, बस अपना मनोबल ऊंचा बनाए रखें। डॉक्टरों की सलाह मानें, दिमाग को शांत रखने के लिए मेडिटेशन और योग करें। यह कहना है कोरोना को हराने वाले आईएएस अफसर गिरीश शर्मा के। शर्मा अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान, भोपाल के प्रमुख सलाहकार हैं। गिरीश शर्मा और उनके बेटे सुमर्तल शर्मा को 11 अप्रैल को संक्रमण की पुष्टि हुई थी और वह 11 अप्रैल से 26 अप्रैल तक चिरायु अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती रहे। उन्होंने दैनिक भास्कर से अपने इलाज के दिनों के अनुभव पर विस्तार से बातचीत की। उनकी जर्नी कोउन्हीं के शब्दों मेंपढ़िए...
आईएएस गिरीश शर्मा बताते हैं- "मैं रोज योग, प्राणायाम करता और सुबह-शाम टहलता था। कोशिश रहती थी कि जितने भी मेरे आसपास के लोग हैं, उन्हें भी योग और मेडिटेशन कराऊं। मेरा 18 साल का बेटा सुमर्तल शर्मा भी मेरे साथ ही भर्ती था। उसका समय पेंटिग्स बनाते, मोबाइल पर फिल्में देखते और दोस्तों से मोबाइल पर बात करते गुजर जाता था। मेरा कुछ पढ़ते-लिखते और ऑफिस के काम को निपटाते समय कट जाता था। कुछ काम वाट्सएप और ऑनलाइन के माध्यम से करता था। भाषाओं का शौक है, इसलिए ऑनलाइन स्पैनिश और जर्मन भाषा सीखता था। मैंने इन भाषाओं का एक शब्द रोज सीखा।"

"पलटकर देखता हूं तो लगता है कि 14 दिन कैसे गुजर गए। असल में आप एक ऐसी सिचुएशन में हैं, जिसे लंबा जाना है। जब आपको ये पता चलता है कि 14 दिन देने ही हैं और फिर उसमें दो अग्नि परीक्षाएं हैं, मतलब दो टेस्ट देने होंगे। इसके बाद हमारे कई साथी ऐसे भी होते हैं, जिनके टेस्ट पॉजिटिव आ जाते हैं। उन्हें और ज्यादा रुकना पड़ता है। उस समय सबसे जरूरी है मनोबल और धैर्य बनाकर रखना। इसके लिए आपके दिमाग का शांत होना बहुत जरूरी है। परिवार और साथियों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं तो कभी निराश नहीं होंगे। फिर लोग एक-दूसरे से जुड़ने लगते हैं। सच कहूं तो इस दौरान आप कब एक-दूसरे के हो जाते हैं पता नहीं चलता है।ये कुछ तरीके हैं, जिसके माध्यम से आप सस्टेन कर सकते हैं, मतलब कोरोना संक्रमण से जल्दी ठीक हो जाएंगे।"

"अस्पताल में जब नया पेशेंट आता है तो बहुत ज्यादा बदहवास होता है। उसको रिलैक्स कर दें या आप उसे ये समझा दें कि सब ठीक है, ठीक हो जाएगा। असल में, यहां पर परिवार और दोस्तों से अलग हुए पेशेंट के साथ घुलमिल जाएं, जिससे वह परिवार की कमी महसूस न करे। जैसे यहां पर वह एक अजनबी है। कब वह अपना बन जाता है पता ही नहीं चलता। मैंने इसके लिए लोगों के साथ हंसना, उन्हें हंसाना शुरू किया। किसी से उसकी जिंदगी के संस्मरण सुन लिया तो किसी को सुना दिया और दिल खोलकर हंस लिया।"

"अस्पताल में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है। मदद भी ऐसी कि आज फ्रूट्स अच्छे आए हैं, आप लोग देख लें। एक जैन समाज से जुड़ी बुजुर्ग महिला आई थीं, वह लहसुन प्याज नहीं खाती थीं, ऐसे में उनके भोजन को लेकर समस्या आ रही थी। मैंने उन्हें सलाह दी कि आप दलिया खाओ, पोहा, फल खा लीजिए। मैं खुद भी दलिया खाकर ही रहता था। इस पर बुजुर्ग अम्मा को संतोष हो गया। बातचीत की श्रंखला जारी रहनी चाहिए, जिससे यहां कोई भी खुद को अकेला महसूस न करें।"

चिरायु हॉस्पिटल के स्टॉफ ने हमारे लिए कार्ड्स बनाए, वो बहुत खूबसूरत हैं और उन्हें फ्रेम कराऊंगा, संजों के रखूंगा। जिससे ये समय हमेशा मेरी स्मृतियों में रहे। कोरोना की लड़ाई ने बहुत कुछ सिखाया है। धैर्य और मनोबल इस बीमारी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।
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