सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही रह किसी के मन में उनकी मौत से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सबूत सुशाइड की तरफ इशारा कर रहे हैं मगर कुछ लोग अब इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। इसी बीच महाभारत एक्ट्रेस और सांसद रूपा गांगुली ने भी मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं। भास्कर से बातचीत के दौरान एक्ट्रेस ने सुसाइड के एंगल को पूरी तरह ठुकराया है
सुशांत पर बात करते हुए एक्ट्रेस ने कहा, मैं अपनी बात बतौर बीजेपी एमपी नहीं रख रही हूं बल्कि एक कलाकार और सुशांत के काम की फैन के तौर पर रख रही हूं। एक कंसर्न्ड नागरिक के तौर पर रख रही हूं। सभी परिजनों से मेरी गुजारिश है। अपने बच्चों में सुशांत का चेहरा देखें, जो उज्जवल भविष्य के लिए घर से दूर हैं। मुंबई पुलिस ने पहले ही दिन से कह दिया कि यह सुसाइड है। रिपोर्ट में यह तक कहा गया कि मौत सांस रोकने की वजह से हुई है।
गले पर मार्क सुसाइड वाले नहीं थे
पुलिस ने फोटोग्राफ्स क्यों हटा दिए हैं सुशांत के पार्थिव शरीर के। उनके फोटोग्राफ्स देखने से लोगों के मन में शक हुआ था कि गले पर जो उनका मार्क है, वह सुसाइड वाला नहीं है। लाखों लोग सवाल उठा रहे हैं उनमें से एक मैं भी हूं। लिगेचर मार्क आमतौर पर यू शेप का होता है। पर जो तस्वीरें और वीडियोज घूम रहे हैं, उसमें लिगेचर मार्क यू शेप का नहीं लग रहा।
बड़े लोगों ने सुसाइड का नैरेटिव सेट किया
मुझे पहले से ही शक था कि सुशांत मामले में सुसाइड का नैरेटिव कोई सेट कर रहा है। पुलिस ने आते ही तुरंत कह दिया कि यह सुसाइड है। उनको तो यह कहना चाहिए था कि जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह सुसाइड है या मर्डर है। पहले दिन से ही वहां के कुछ लोग साबित करने में जुटे हुए हैं कि सुशांत डिप्रेशन पेशेंट था। कुछ बड़े लोगों ने नैरेटिव सेट किया। मुझे यह बताइए कि फिल्म इंडस्ट्री में कौन सा ऐसा इंसान है जो कभी डिप्रेशन में रहा नहीं या उससे गुजरा नहीं।
सुशांत बहुत पॉजिटिव इंसान थे। खुद को तैयार किया। वह डिजर्व करते थे। उन्होंने अपनी पोजीशन बनाई। सिर्फ देखने में सुंदर थे इसीलिए इंडस्ट्री में चल दिए ऐसा नहीं था। उन्होंने डांस क्लासेज लीं, मार्शल आर्ट सीखा। हर किस्म की जरूरत को उन्होंने टाइम दिया, सीखा। पूरे समर्पण के बाद उन्होंने इसमें कदम रखा। जिन का शौक है टेलीस्कोप के साथ समय बिताना। कहीं से भी किसी तरह की इनसिक्योरिटी नहीं है वह ऐसा कदम कैसे उठाएगा।
पुलिस के जहन में सवाल क्यों नहीं आए
सुसाइड के लिए सिर्फ एक रीजन नहीं होता। सुसाइड नोट तक नहीं मिला था। लिगेचर मार्च तो शक के दायरे में है ही। मेरे बहुत सारे सवाल हैं? पुलिस ने उस घर को सील किया कि नहीं? घर का नया लॉक लगाया कि नहीं? पुराने लॉक की 50 चाबियां मिल सकती हैं। मैं कोई डिटेक्टिव नहीं हूं, लेकिन जब मेरे मन में यह सवाल आते हैं तो पुलिस के जेहन में क्यों नहीं यह सवाल आते हैं?
हर जगह खबर है कि सीसीटीवी कैमरा बंद थे
पुलिस ने तुरंत कह दिया इन्वेस्टिगेशन करने से पहले कि सुसाइड है। कई जगहों पर यह लिखा गया है पूछा गया है कि घर के सीसीटीवी कैमरा बंद था। यह भी पता चला है कि वह 10 मिनट पहले वीडियो गेम खेल रहे थे प्ले स्टेशन खेल रहे थे। यह सारे सवाल पुलिस के जहन में नहीं आए होंगे। यह तो मुमकिन नहीं।
ऑफिसर्स को जान का खतरा है
हकीकत यह है कि इस केस के जो इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हैं, उनकी जान को खतरा है। उनके पास जानकारी सब कुछ है, लेकिन वह इस केस की गुत्थी सुलझाने में सक्षम नहीं हैं। अगर वह निष्पक्ष जांच करेंगे तो उनको ही जान से मारा जा सकता है।
इन लोगों को सीबीआई ही पकड़ सकती है
यह करने वाले लोग कौन हो सकते हैं, यह हर कोई जानते हैं। कौन हैं, जो मुंबई में सबसे बड़ा ड्रग रैकेट चलाते हैं? गुनहगारों के नाम मेरे सवाल में है। सवाल यह कि कौन हैं, जो रोस्ट जैसा कॉमेडी शो ऑर्गेनाइज करवाते हैं? कौन हैं, जो अपने टीवी शो चलाते हैं। वहां पर अपने और उस कार्यक्रम में अपने लोगों के फैनबेस को बढ़ाते हैं। और फिर उन्हीं को फिल्मों में लेते हैं। इन सब को पकड़ने की कूवत सीबीआई ही रखती है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2BCcoD1
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box