केंद्र सरकार ने मंदिरों को 8 जून से सशर्त खोलने की इजाजत दे दी है। ऐसे में देशभर के मंदिर ढाई महीने बाद श्रद्धालुओंके लिए फिर खुल जाएंगे। सभी मंदिरों में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग रखना अनिवार्य होगा। इन स्थितियों में बड़े मंदिरों में अब पहले की तुलना में प्रतिदिन एक तिहाई श्रद्धालुओं को ही दर्शन का मौका मिल पाएगा।
श्रद्धालु मुख्य विग्रह के सामने तीन से पांच सेकंड तक ही रुक सकेंगे। दंडवत करने का मौका नहीं मिलेगा। जानिए किस मंदिर में कैसी व्यवस्था संभव है-
तिरुपति मंदिर
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी ने बताया कि वेंकटेश्वर मंदिर में थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क और साेशल डिस्टेंसिंग रखते हुए दर्शन कराएंगे। श्रद्धालु समूह में न आएं, इसके लिए परिसर पथ पर गोले बनाए गए हैं।
श्रद्धालुओं का हर जत्था निकलने के बाद मंदिर सैनिटाइज होगा। बार-बार सैनिटाइजेशन के चलते प्रवेश का समय भी कम होगा। श्रद्धालु सुबह पांच से रात नौ बजे तक ही दर्शन कर सकेंगे। हालांकि, पूजा का क्रम सुबह साढ़े तीन बजे शुरू होगा। अंतिम पूजा के बाद मंदिर रात साढ़े ग्यारह बजे बंद होंगे।
वैष्णोदेवी
श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ ने बताया कि वैष्णाेदेवी यात्रा एकदम से न खोलकर सघन निगरानी में नियमित तरीके से खोली जाएगी। मंदिर तक पैदल मार्ग को बार-बार डिसइंफेक्ट करेंगे। यात्रियों के बैठने, ठहरने की जगहें भी बार-बार सैनिटाइज करेंगे। केंद्र व राज्य से मार्गदर्शन मिलने के बाद श्राइन बोर्ड तय करेगा कि हर दिन अधिकतम कितने लोग दर्शन करें। मंदिर खुलने के समय में परिवर्तन नहीं होगा।
वृंदावन
बांके बिहारी मंदिर प्रबंधक मुनीष शर्मा ने बताया, मंदिर में बाहरी प्रसाद-माला की मंजूरी नहीं होगी। दंडवत का मौका भी नहीं मिलेगा। 3-5 सेकंड में दर्शन कर निकास की ओर बढ़ना होगा। हर घंटे सैनिटाइजेशन पर दर्शनार्थियों को रोकेंगे। दर्शन का समय नहीं बढ़ेगा।
शिर्डी: रात 9 बजे के बाद दर्शन नहीं, श्रद्धालुओं को मास्क देंगे
ट्रस्ट के चेयरमैन सुरेश हवारे ने बताया, पहले हर घंटे 6 हजार लाेग दर्शन करते थे। इसे डेढ़ से दो हजार करेंगे। प्रयास करेंगे कि ऑनलाइन प्री-बुकिंग की सुविधा दें। मंदिर सुबह 4 से रात 11 बजे तक खुलता है, पर चार बार आरतियों और उनकी तैयारी के कारण रात नौ बजे के बाद फिलहाल दर्शन नहीं कर सकेंगे।
जगन्नाथ मंदिर: भगवान क्वारेंटाइन, मंदिर खुलेगा
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में 5 जून को स्नान पूर्णिमा की इजाजत मिल गई है। रथयात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को जल स्नान कराया जाता है। परंपरा है कि इस प्रक्रिया में भगवान ज्वर पीड़ित हो जाते हैं और 15 दिन क्वारेंटाइन होते हैं।
मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्य सिंह देब ने कहा कि बिना श्रद्धालु केवल सेवकों की मौजूदगी में ही रथ श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाने की अनुमति मांगी गई है।
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